भारत माँ से प्रेम था
दुश्मनों का अत्याचार था
दर्द की कोई सीमा नाथी
माँ के वो लाल थे
अग्नि सा जल रहा
उनका लहू था
आज कसम ली थी
त्याग देगे ये जीवन
देश की रक्षा मे
आखिर वो दिन आया
माँ के सपूतों ने
हासिल कर ली
कारगिल पर विजय
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